Diya Yeh Dil Agar Usko

दिया ये दिल अगर उसको बशर है क्या कहिए
हुआ रक़ीब तो हो नामा-बर है क्या कहिए
दिया ये दिल...

ये ज़िद कि आज ना आवे और आए बिन ना रहे
ये ज़िद कि आज ना आवे और आए बिन ना रहे

क़ज़ा से शिकवा हमें किस क़दर है क्या कहिए
क़ज़ा से शिकवा हमें किस क़दर है क्या कहिए
दिया ये दिल...

ज़हे करिश्मा कि यूँ दे रखा है हम को फ़रेब
ज़हे करिश्मा कि यूँ दे रखा है हम को फ़रेब

कि बिन कहे ही उन्हें सब ख़बर है क्या कहिए
कि बिन कहे ही उन्हें सब ख़बर है क्या कहिए
दिया ये दिल...

समझ के करते हैं बाज़ार में...

समझ के करते हैं बाज़ार में वो पुर्सिश-ए-हाल

कि हम कहें कि सर-ए-रहगुज़र है क्या कहिए
कि हम कहें कि सर-ए-रहगुज़र है क्या कहिए
हुआ रक़ीब...

कहा है किस ने कि 'ग़ालिब' बुरा नहीं, लेकिन
कहा है किस ने कि 'ग़ालिब' बुरा नहीं, लेकिन

सिवाए इसके कि आशुफ़्ता-सर है क्या कहिए
दिया ये दिल अगर उसको बशर है क्या कहिए
हुआ रक़ीब तो हो नामा-बर है क्या कहिए



Credits
Writer(s): Mirza Ghalib, Taj Ahmed Khan
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