Halki Halki Si Baarish

हल्की-हल्की सी बारिश हो

हल्की-हल्की सी बारिश हो
नर्म हवा के झोंके हों
निखरे-निखरे से ताज़ा-दम
हरियाली के चेहरे हों
काश, कभी ऐसा हो जाए
काश, कभी ऐसा हो जाए
हल्की-हल्की सी बारिश हो

बारिश की पहली साँसों में मिट्टी की अंगड़ाई हो
गहरे-गहरे बादल पेड़ों की शाख़ों से उलझे हों
मौसम के पहले फूलों की ख़ुशबू कहीं से आती हो
और तुम्हारी मुस्कानों में महके-महके वादे हों

काश, कभी ऐसा हो जाए
हल्की-हल्की सी बारिश हो

चाँद किसी भीगी चिड़िया सा मेरी छत पर बैठा हो
अब्र हवा के बहकावे में बस्ती-बस्ती फिरते हों
टिप-टिप की आवाज़ ख़ामोशी को गहरा-गहरा कर जाती हो
सन्नाटे सुनते हम दोनों बेख़ुद होकर बैठे हों

काश, कभी ऐसा हो जाए
हल्की-हल्की सी बारिश हो

रात किसी टूटी छतरी सी टप-टप करके टपकी हो
दिन भीगे-भीगे पंछी जैसे सहमे-सहमे लगते हों
घुटने-घुटने तक पानी में चलकर आए कोई सुबह-सुबह
और रात की नींद ओढ़कर हम बेसुध होकर सोते हों

काश, कभी ऐसा हो जाए
हल्की-हल्की सी बारिश हो
नर्म हवा के झोंके हों
निखरे-निखरे से ताज़ा-दम
हरियाली के चेहरे हों
काश, कभी ऐसा हो जाए
काश, कभी ऐसा हो जाए
हल्की-हल्की सी बारिश हो



Credits
Writer(s): Pankaj Udhas, Prashant Vasl
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