Buddha Hi Buddha Hai

ये च बुद्धा अतीता च, ये च बुद्धा अनागता
पच्चुपन्ना च ये बुद्धा, अहं वन्दामि सब्बदा

बुद्ध ही बुद्ध है
बुद्ध ही बुद्ध है
हर जगह, हर समय
वो सिद्ध है, वो सिद्ध है

बुद्ध ही बुद्ध है
बुद्ध ही बुद्ध है
हर जगह, हर समय
वो सिद्ध है, वो सिद्ध है

मन में तुम्हारे बसता वो गुणवान है
मन में तुम्हारे बसता वो गुणवान है
सम्यक शिक्षा से करता जो शिलवान है

अहिंसा की ताक़त से जो बलवान है
अहिंसा की ताक़त से जो बलवान है
वो बुद्ध है, वो बुद्ध है, वो बुद्ध है

बुद्ध ही बुद्ध है
बुद्ध ही बुद्ध है

स्वयं पर तू स्वयं ध्यान कर
हलचल हृदय की स्पंदनों को जान कर
नित्य नियंत्रण से ख़ुद की पहचान कर
नित्य नियंत्रण से ख़ुद की पहचान कर

पाएगा जब तू विजय स्वार्थ पर
विकृती पर तू निरंतर मात कर
दृढ़ निश्चय से जब चित्त तेरा शुद्ध है
तू बुद्ध है, तू बुद्ध है, तू बुद्ध है

बुद्ध ही बुद्ध है
बुद्ध ही बुद्ध है

सा, ग, म, ध, नि, धा, नि, सा

परिवर्तन ही है ये जीवन का नियम
क्यूँ ना हो ये धर्म का भी अधिनियम?
मैत्री प्रज्ञाशील हो, जिसमें सदैव तन-मन पर संयम

कर पूजा सद्गुणों के, नादान
ईश्वर क्या बने, तू पहले बन इंसान
कर्मकांडों से नहीं मिलता भगवान
चमत्कार नहीं दुनिया में, तू मान

मानव सेवा ही तुझसे नीतिबद्ध है
मानव सेवा ही तुझसे नीतिबद्ध है
तू बुद्ध है, तू बुद्ध है, तू बुद्ध है

बुद्ध ही बुद्ध है
बुद्ध ही बुद्ध है

जब चले हिंसा की आँधी
निर्लज्ज उठाए पापों का तूफ़ान
ले चला जगत को विनाश के पथ पर
बे-धुँध अहंकारी बना इंसान

देखो उसे, ढूँढो उसे, पाओ उसे अंतर्मन में, जन-मन-तन में
दीपक शांति का, करुणा का वो सागर, प्रज्ञा की जो मूर्ति
दिव्य, भव्यशील नगर
देखो उसे, ढूँढो उसे, पाओ उसे

इस जगत का, इस धरा का वो मार्गदाता श्रेष्ठ है
इस जगत का, इस धरा का मार्गदाता श्रेष्ठ है
वो बुद्ध है, वो बुद्ध है, वो बुद्ध है

बुद्ध ही बुद्ध है
बुद्ध ही बुद्ध है
हर जगह, हर समय
वो सिद्ध है, वो सिद्ध है

बुद्ध ही बुद्ध है
बुद्ध ही बुद्ध है
हर जगह, हर समय
वो सिद्ध है, वो बुद्ध है

वो सिद्ध है, वो बुद्ध है
वो सिद्ध है, वो बुद्ध है
वो बुद्ध है



Credits
Writer(s): Rajesh Dhabre
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