Jis Raat Jalen Na Parwanen
वाह-वाह
जब तलक जल रहे हैं परवाने
प्यार की दास्ताँ चले ही चले
सुब्हान-अल्लाह (आदाब अर्ज़ है)
इश्क़ को क्या मिटाएगा कोई
इश्क़ का कारवाँ चले ही चले
जिस रात जले ना परवाने
जिस रात जले ना परवाने
ऐसी तो कोई भी रात नहीं
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(जिस रात जले ना...) ए जी, हाँ-हाय
(जिस रात जले ना...)
(जिस रात जले ना...)
जिस रात जले ना परवाने
ऐसी तो कोई भी रात नहीं
इक जलता है...
(इक जलता है, जलता है, जलता है)
इक जलता है, सौ आते हैं
दो-चार या दस की बात नहीं
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(जिस रात जले ना परवाने)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
क्या चीज़ है ये उलफ़त की जलन
पूछो ये किसी दिलवाले से
(क्या चीज़ है ये उलफ़त की जलन)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
तेरे लिए नज़र से ज़माना गिरा दिया
हाय, तुझको बसा के दिल में जहाँ को भुला दिया (वाह, वाह, वाह)
जब तेरी रहगुज़र में...
जब तेरी रहगुज़र में अँधेरा हुआ तभी
तो फिर क्या किया?
अजी, मिल ना सका चराग़ तो दिल ही जला दिया
क्या दिल जलाया है, Mehmood साहब
दिलवाले जलते जाएँगे
इस राह पे चलते जाएँगे
फ़रियाद ना लपरवाएगी
हो, ग़म सीनों में पलते जाएँगे
(जी दिलवाले जलते जाएँगे)
(इस राह पे चलते जाएँगे)
ज़ालिम, तेरे वादों का क्या है
ज़ालिम, तेरे वादों का क्या है
वो हश्र पे टलते जाएँगे
(जी दिलवाले जलते-जलते जाएँगे)
(इस राह पे चलते जाएँगे)
अल्लाह के आगे भी लेकिन
शिकवा ना करेंगे हम तेरा
तू दाद हमारे सब्र की दे
हम फिर भी भरेंगे दम तेरा
(क्या चीज़ है ये उलफ़त की जलन)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
इस इश्क़ के दुखड़े कौन गिने?
(इस इश्क़ के, इश्क़ के, इश्क़ के)
इस इश्क़ के दुखड़े कौन गिने?
कौन गिने? कौन गिने?
जी इस इश्क़ के दुखड़े कौन गिने?
दो-चार या दस की बात नहीं
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(जिस रात जले ना परवाने)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
तुम दर से उठाते हो किसको?
ये याद रहे, ये याद रहे
(तुम दर से उठाते हो किसको?)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
अजी, ये याद रहे
अजी, ये याद रहे
ये याद रहे, हम आशिक़ हैं
परवाने का सीना रखते हैं
जीने का सलीक़ा आता है
मरने का क़रीना रखते हैं
(ये याद रहे)
(अजी, ये याद रहे)
(ये याद रहे, ये याद रहे, ये याद रहे)
(मगर, ये याद रहे)
(अजी, ये याद रहे)
ओ, मरना ही हमारी मंज़िल है
मंज़िल से डराते हो किसको?
(जी मंज़िल से डराते हो किसको?)
ओ, इस दर की रौनक हमसे है
तुम दर से उठाते हो किसको?
(किसको? तुम दर से उठाते हो किसको?)
हम उठ के चले तो जाएँगे
और लौट के फिर नहीं आएँगे
मर जाएँगे, मर जाएँगे, मर जाएँगे
(मगर, ये याद रहे)
(अजी, ये याद रहे)
ऐ दिल-ए-ज़ार, तेरे हाल पे छोड़ा तुझको
चारा 'गर हो गए लाचार तो चारा क्या है?
ओ, सितमगर, तुझे ये लोग ना जीने देंगे
हम तो मर जाएँगे बे-मौत, हमारा क्या है
(मगर, ये याद रहे)
(अजी, ये याद रहे)
हम उठ के चले तो जाएँगे
और लौट के फिर ना आएँगे
मर जाएँगे, मर जाएँगे
(लेकिन, ओ, सितमगर...)
(लेकिन, ओ, सितमगर, याद रहे)
(लेकिन, ओ, सितमगर, याद रहे)
(याद रहे)
(लेकिन, ओ, सितमगर याद रहे)
(लेकिन, ओ, सितमगर याद रहे)
(अजी ये याद रहे, मगर, ये याद रहे)
(सितमगर, याद रहे)
(तुम दर से उठाते हो किसको?)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
है शहर का शहर ही दीवाना
(है-है शहर का शहर ही दीवाना, दीवाना)
(शहर का शहर ही...)
है शहर का शहर ही दीवाना, दीवाना, दीवाना
हाँ-जी, ये शहर का शहर ही दीवाना
दो-चार या दस की बात नहीं
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(जिस रात जले ना परवाने)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(इक जलता है, सौ आते हैं)
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(जिस रात जले ना परवाने)
जब तलक जल रहे हैं परवाने
प्यार की दास्ताँ चले ही चले
सुब्हान-अल्लाह (आदाब अर्ज़ है)
इश्क़ को क्या मिटाएगा कोई
इश्क़ का कारवाँ चले ही चले
जिस रात जले ना परवाने
जिस रात जले ना परवाने
ऐसी तो कोई भी रात नहीं
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(जिस रात जले ना...) ए जी, हाँ-हाय
(जिस रात जले ना...)
(जिस रात जले ना...)
जिस रात जले ना परवाने
ऐसी तो कोई भी रात नहीं
इक जलता है...
(इक जलता है, जलता है, जलता है)
इक जलता है, सौ आते हैं
दो-चार या दस की बात नहीं
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(जिस रात जले ना परवाने)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
क्या चीज़ है ये उलफ़त की जलन
पूछो ये किसी दिलवाले से
(क्या चीज़ है ये उलफ़त की जलन)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
तेरे लिए नज़र से ज़माना गिरा दिया
हाय, तुझको बसा के दिल में जहाँ को भुला दिया (वाह, वाह, वाह)
जब तेरी रहगुज़र में...
जब तेरी रहगुज़र में अँधेरा हुआ तभी
तो फिर क्या किया?
अजी, मिल ना सका चराग़ तो दिल ही जला दिया
क्या दिल जलाया है, Mehmood साहब
दिलवाले जलते जाएँगे
इस राह पे चलते जाएँगे
फ़रियाद ना लपरवाएगी
हो, ग़म सीनों में पलते जाएँगे
(जी दिलवाले जलते जाएँगे)
(इस राह पे चलते जाएँगे)
ज़ालिम, तेरे वादों का क्या है
ज़ालिम, तेरे वादों का क्या है
वो हश्र पे टलते जाएँगे
(जी दिलवाले जलते-जलते जाएँगे)
(इस राह पे चलते जाएँगे)
अल्लाह के आगे भी लेकिन
शिकवा ना करेंगे हम तेरा
तू दाद हमारे सब्र की दे
हम फिर भी भरेंगे दम तेरा
(क्या चीज़ है ये उलफ़त की जलन)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
(पूछो ये किसी दिलवाले से)
इस इश्क़ के दुखड़े कौन गिने?
(इस इश्क़ के, इश्क़ के, इश्क़ के)
इस इश्क़ के दुखड़े कौन गिने?
कौन गिने? कौन गिने?
जी इस इश्क़ के दुखड़े कौन गिने?
दो-चार या दस की बात नहीं
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(जिस रात जले ना परवाने)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
तुम दर से उठाते हो किसको?
ये याद रहे, ये याद रहे
(तुम दर से उठाते हो किसको?)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
अजी, ये याद रहे
अजी, ये याद रहे
ये याद रहे, हम आशिक़ हैं
परवाने का सीना रखते हैं
जीने का सलीक़ा आता है
मरने का क़रीना रखते हैं
(ये याद रहे)
(अजी, ये याद रहे)
(ये याद रहे, ये याद रहे, ये याद रहे)
(मगर, ये याद रहे)
(अजी, ये याद रहे)
ओ, मरना ही हमारी मंज़िल है
मंज़िल से डराते हो किसको?
(जी मंज़िल से डराते हो किसको?)
ओ, इस दर की रौनक हमसे है
तुम दर से उठाते हो किसको?
(किसको? तुम दर से उठाते हो किसको?)
हम उठ के चले तो जाएँगे
और लौट के फिर नहीं आएँगे
मर जाएँगे, मर जाएँगे, मर जाएँगे
(मगर, ये याद रहे)
(अजी, ये याद रहे)
ऐ दिल-ए-ज़ार, तेरे हाल पे छोड़ा तुझको
चारा 'गर हो गए लाचार तो चारा क्या है?
ओ, सितमगर, तुझे ये लोग ना जीने देंगे
हम तो मर जाएँगे बे-मौत, हमारा क्या है
(मगर, ये याद रहे)
(अजी, ये याद रहे)
हम उठ के चले तो जाएँगे
और लौट के फिर ना आएँगे
मर जाएँगे, मर जाएँगे
(लेकिन, ओ, सितमगर...)
(लेकिन, ओ, सितमगर, याद रहे)
(लेकिन, ओ, सितमगर, याद रहे)
(याद रहे)
(लेकिन, ओ, सितमगर याद रहे)
(लेकिन, ओ, सितमगर याद रहे)
(अजी ये याद रहे, मगर, ये याद रहे)
(सितमगर, याद रहे)
(तुम दर से उठाते हो किसको?)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
(ये याद रहे, ये याद रहे)
है शहर का शहर ही दीवाना
(है-है शहर का शहर ही दीवाना, दीवाना)
(शहर का शहर ही...)
है शहर का शहर ही दीवाना, दीवाना, दीवाना
हाँ-जी, ये शहर का शहर ही दीवाना
दो-चार या दस की बात नहीं
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(जिस रात जले ना परवाने)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(ऐसी तो कोई भी रात नहीं)
(इक जलता है, सौ आते हैं)
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(दो-चार या दस की बात नहीं)
(जिस रात जले ना परवाने)
Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Madan Mohan
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