Dil Ki Girah Khol Do

दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ
दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ

महफ़िल मे अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ

मिलने दो अब दिल से दिल को
मिटने दो मजबूरियों को
शीशे मे अपने डूबो दो
सब फ़ासलो दूरियों को
आँखों मे मैं मुस्कुराऊं
तुम्हारी जो तुम मुस्कुराओ

महफ़िल मे अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ

हम तुम ना हम तुम रहे अब
कुछ और ही हो गये अब
सपनों के झिलमिल नगर में
जाने कहाँ खो गये अब
हमराह पूछे किसी से
ना तुम अपनी मंज़िल बताओ

महफ़िल मे अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ

कल हम से पूछे ना कोई
क्या हो गया था तुम्हें कल
मुड़कर नहीं देखते हम
दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कही रह गये
अब उन्हें मत बुलाओ

महफ़िल मे अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ



Credits
Writer(s): Shailendra, Jaikshan Shankar
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