Yeh Kaisi Deewar Hai Duniya

ये कैसी दीवार है दुनिया?
अपने नहीं मिल पाते हैं
ज़ुल्म तो ये है, साथ ज़मीं के
दिल भी यहाँ बँट जाते हैं

ये कैसी दीवार है दुनिया?
ये कैसी दीवार है दुनिया?
अपने नहीं मिल पाते हैं

ज़ुल्म तो ये है, साथ ज़मीं के
ज़ुल्म तो ये हैं साथ ज़मीं के
दिल भी यहाँ बँट जाते हैं
ये कैसी दीवार है दुनिया?

रूठ गए हैं भाई-भाई, घर का आँगन बाँट रहे हैं
रूठ गए हैं भाई-भाई, घर का आँगन बाँट रहे हैं
कौन कहे इन दीवानों से, हो
कौन कहे इन दीवानों से, माता का तन बाँट रहे हैं

ज़ुल्म तो ये है, साथ ज़मीं के
ज़ुल्म तो ये है, साथ ज़मीं के
दिल भी यहाँ बँट जाते हैं
ये कैसी दीवार है दुनिया?

धूप चढ़ी नफ़रत की कैसी, तन से बिछड़ के छाँव जुदा है
इंसाँ खो बैठा है मंज़िल
इंसां खो बैठा है मंज़िल, राह ख़फ़ा है, पाँव जुदा हैं
राह खफ़ा है, पाँव जुदा हैं

ज़ुल्म तो ये है...
ज़ुल्म तो ये है, साथ ज़मीं के
दिल भी यहाँ बट जाते हैं
ये कैसी दीवार है दुनिया?



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, S. Madan
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