Yeh Raat Yeh Fazayen

ये रात, ये फ़िज़ाएँ फिर आए या ना आए
आओ, शम्मा बुझा के हम आज दिल जलाएँ

ये रात, ये फ़िज़ाएँ फिर आए या ना आए
आओ, शम्मा बुझा के हम आज दिल जलाएँ
ये रात, ये फ़िज़ाएँ फिर आए या ना आए
आओ, शम्मा बुझा के हम आज दिल जलाएँ
ये रात, ये फ़िज़ाएँ...

ये नर्म सी ख़ामोशी, ये रेशमी अँधेरा
कहता है, "ज़ुल्फ़ खोलो, रुक जाएगा सवेरा"

जुगनू से मिल के चमके, तारे से झिलमिलाएँ
आओ, शम्मा बुझा के हम आज दिल जलाएँ
ये रात, ये फ़िज़ाएँ...

भीगी हुई हवाएँ, अब रात ढल रही है
ऐसे में दो दिलों की इक शम्मा जल रही है

ये प्यार का उजाला मिल के अमर बनाएँ
आओ, शम्मा बुझा के हम आज दिल जलाएँ
ये रात, ये फ़िज़ाएँ...



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, S Madan
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