Kabhi Kabhi Mere Dil Mein (with Dialogues)

कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कि ज़िंदगी तेरी ज़ुल्फ़ों की नर्म छाँव मे गुज़र ना पाती
तो शादाब हो भी सकती थी

ये रंज-ओ-ग़म की स्याही जो दिल पे छाई है
तेरी नज़र की शुआ'ओं में खो भी सकती थी
मगर ये हो ना सका

मगर ये हो ना सका, और अब ये आलम है
कि तू नहीं, तेरा ग़म, तेरी जुस्तजू भी नहीं
गुज़र रही है कुछ इस तरह ज़िंदगी
जैसे इसे किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं

ना कोई राह, ना मंज़िल, ना रोशनी का सुराग
भटक रही है अँधेरों में ज़िंदगी मेरी
इन्हीं अँधेरों में रह जाऊँगा कभी खोकर
मैं जानता हूँ, मेरी हमनफ़ज
मगर यूँ ही कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कि जैसे तुझ को बनाया गया है मेरे लिए
कि जैसे तुझ को बनाया गया है मेरे लिए

तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिए
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिए

कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कि ये बदन, ये निगाहें मेरी अमानत हैं
कि ये बदन, ये निगाहें मेरी अमानत हैं

ये गेसुओं की घनी छाँव है मेरी ख़ातिर
ये होंठ और ये बाँहें मेरी अमानत हैं
ये होंठ और ये बाँहें मेरी अमानत हैं

कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कि जैसे बजती हैं शहनाइयाँ सी राहों में
कि जैसे बजती हैं शहनाइयाँ सी राहों में

सुहागरात है, घूँघट उठा रहा हूँ मैं
सुहागरात है, घूँघट उठा रहा हूँ मैं
सिमट रही है तू शर्मा के अपनी बाँहों में
सिमट रही है तू शर्मा के अपनी बाँहों में

कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कि जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँ ही
उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँ ही

मैं जानता हूँ कि तू ग़ैर है, मगर यूँ ही
मैं जानता हूँ कि तू ग़ैर है, मगर यूँ ही
कभी-कभी मेरे दिल में ख़याल आता है



Credits
Writer(s): Sahir Ludhianvi, N/a Khaiyyaam
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