Padh Kar Tumhara Khat

पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे अरमाँ मचल गए
पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे अरमाँ मचल गए
ऐसा लगा कि तुम्हीं गले आ के लग गए
पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे...

ख़त पढ़ के हम तुम्हारा, सनम, झूमते रहे
दिल से लगा-लगा के उसे चूमते रहे
आई तुम्हारी याद बहुत रात-भर, सनम
अब तुमसे दूर रह के नहीं जी सकेंगे हम, नहीं जी सकेंगे हम

पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे अरमाँ मचल गए
ऐसा लगा कि तुम्हीं गले आ के लग गए
पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे...

तुमने वो सब लिखा है, जो कहते थे तुम, सनम
वादे वो जिनको सुन के हमें आती थी शरम
ज़ुल्फ़ों में अपना चेहरा छुपा लेते थे जो हम
हमको मनाने के लिए खाते थे तुम क़सम, खाते थे तुम क़सम

पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे अरमाँ मचल गए
ऐसा लगा कि तुम्हीं गले आ के लग गए
पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे...

जज़्बात दहके-दहके हैं, हर बात बहकी-बहकी
तेरे ख़याल से है मेरी रात महकी-महकी
ख़त में तुम्हारा चेहरा नज़र आ गया हमें
अंदाज़ तेरे ख़त का तड़पा गया हमें, तड़प गया हमें

पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे अरमाँ मचल गए
पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे अरमाँ मचल गए
ऐसा लगा कि तुम्हीं गले आ के लग गए
पढ़ कर तुम्हारा ख़त मेरे...



Credits
Writer(s): Nafees 00254235286 Alam
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