Tum Jab Bhi Khat

तुम जब भी ख़त पढ़ोगे मेरा, मुस्कुराओगे
नाराज़ हो गए हो तो घबरा के आओगे
तुम जब भी ख़त पढ़ोगे मेरा, मुस्कुराओगे
तुम जब भी ख़त पढ़ोगे मेरा...

बेचैन किस क़दर हूँ, फ़िज़ाओं से पूछ लो
इन आती-जाती मस्त हवाओं से पूछ लो
आईना देखो, मैं ही नज़र आऊँगा तुम्हें
'गर हो सके तो अपनी निगाहों से पूछ लो
निगाहों से पूछ लो

तुम जब भी ख़त पढ़ोगे मेरा, मुस्कुराओगे
नाराज़ हो गए हो तो घबरा के आओगे
हाँ, तुम जब भी ख़त पढ़ोगे मेरा...

हर फूल मुझको ज़ख्म की सूरत है, जान-ए-मन
लगता नहीं है दिल मेरा रंगीं बहार में
जब तुम नहीं हो साथ तो बे-कैफ़ ज़िंदगी
घबरा के मर ना जाऊँ, सनम, इंतज़ार में, इंतज़ार में

तुम जब भी ख़त पढ़ोगे मेरा, मुस्कुराओगे
नाराज़ हो गए हो तो घबरा के आओगे
हाँ, तुम जब भी ख़त पढ़ोगे मेरा, मुस्कुराओगे
तुम जब भी ख़त पढ़ोगे मेरा...



Credits
Writer(s): Nafees 00254235286 Alam
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