Chalenge Teer Jab Dil Par

दिल का अफ़साना सुनाते हैं सुनाने वाले
काश, समझें ना मोहब्बत को मिटाने वाले
प्यार का नाम भी लेते हुए डर लगता है
तीर खींचे हुए बैठे हैं ज़माने वाले

चलेंगे तीर जब दिल पर तो अरमानों का क्या होगा?
लूटेगा घर तो फिर इस घर के मेहमानों का क्या होगा?
चलेंगे तीर जब दिल पर तो अरमानों का क्या होगा?

सुना है, इश्क़ में आते हैं दिन आहों के, नालों के
अभी तक तो सलामत है गरेबाँ इश्क़ वालों के

अगर फ़स्ल-ए-बहार आई तो दीवानों का क्या होगा?
चलेंगे तीर जब दिल पर तो अरमानों का क्या होगा?

उठा है शोर-ए-मातम, शम्मा, तेरे जाँ-निसारों में
अभी तो दिल ही जलते हैं मोहब्बत के शरारों में

किसी ने पर जला डाले तो परवानों का क्या होगा?
किसी ने पर जला डाले तो परवानों का क्या होगा?
चलेंगे तीर जब दिल पर तो अरमानों का क्या होगा?



Credits
Writer(s): Shakeel Badayuni, Naushad Naushad
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