Jane Kya Hua

मुझे याद आते हैं वो दिन के जब हम रोज़ मिलते थे
दिलों में और निगाहों में, हमारी सारी राहों में
मोहब्बत और ख़ुशी के प्यारे-प्यारे फूल खिलते थे
मुझे याद आते हैं वो दिन के जब हम रोज़ मिलते थे

मुझे याद आते हैं वो दिन के जब हम रोज़ मिलते थे
दिलों में और निगाहों में, हमारी सारी राहों में
मोहब्बत और ख़ुशी के प्यारे-प्यारे फूल खिलते थे
मुझे याद आते हैं वो दिन के जब हम रोज़ मिलते थे

जैसे मिलते हैं नदिया के दो धारे, ऐसे मिलते थे हम
दिल में जैसे ख़ुशी के थे फव्वारे, दूर तक था ना ग़म

जैसे मिलते हैं नदिया के दो धारे, ऐसे मिलते थे हम
दिल में जैसे ख़ुशी के थे फव्वारे, दूर तक था ना ग़म

कभी हम बात करते थे, कभी हम गुनगुनाते थे
कभी हम मुस्कुराते थे, कभी हम खो से जाते थे
मुझे याद आते हैं वो दिन के जब हम रोज़ मिलते थे

(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)

ढल गई वो सारी ख़ुशियाँ आहों में, अब है तन्हाइयाँ
मैं भटता हूँ दुनिया की राहों में, तुम हो जाने कहाँ

हो, ढल गई वो सारी ख़ुशियाँ आहों में, अब है तन्हाइयाँ
मैं भटता हूँ दुनिया की राहों में, तुम हो जाने कहाँ

मगर फिर भी ना जाने क्यूँ, कभी दुनिया के मेले में
कभी ग़ैरों की महफ़िल में, कभी बिल्कुल अकेले में
मुझे याद आते हैं वो दिन के जब हम रोज़ मिलते थे

(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)

मुझे याद आते हैं वो दिन के जब हम रोज़ मिलते थे
दिलों में और निगाहों में, हमारी सारी राहों में
मोहब्बत और ख़ुशी के प्यारे-प्यारे फूल खिलते थे
मुझे याद आते हैं वो दिन के जब हम रोज़ मिलते थे

(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)

(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)
(जाने क्या हुआ, फिर जाने क्या हुआ)



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Shankar Mahadevan
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