Nai Manzil Nai Rahen

नई मंज़िल, नई राहें, नया है मेहरबाँ अपना
ना जाने जाके ठहरेगा कहाँ ये कारवाँ अपना

बहार आई है गुलशन में, खिली हैं हर तरफ़ कलियाँ
बहार आई है गुलशन में, खिली हैं हर तरफ़ कलियाँ
कमी क्या है, जो रूठा है चमन से बाग़बाँ अपना?

नई मंज़िल, नई राहें, नया है मेहरबाँ अपना
ना जाने जाके ठहरेगा कहाँ ये कारवाँ अपना

लगी मेहँदी, बनी दुल्हन, बजी शहनाइयाँ लेकिन
लगी मेहँदी, बनी दुल्हन, बजी शहनाइयाँ लेकिन
ये मेरी बदनसीबी है कि तुम ना हो, जहाँ अपना

नई मंज़िल, नई राहें, नया है मेहरबाँ अपना
ना जाने जाके ठहरेगा कहाँ ये कारवाँ अपना



Credits
Writer(s): Hemant Kumar, S H Bihari
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