Sansar Se Bhage Phirte Ho

संसार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओगे
इस लोक को भी अपना ना सके
उस लोक में भी पछताओगे
संसार से भागे फिरते हो

ये पाप है क्या, ये पुण्य है क्या
रितों पर धर्म की मोहरें हैं
ये पाप है क्या, ये पुण्य है क्या
रितों पर धर्म की मोहरें हैं
रितों पर धर्म की मोहरें हैं

हर युग में बदलते धर्मों को
कैसे आदर्श बनाओगे?
संसार से भागे फिरते हो

ये भोग भी एक तपस्या है
तुम त्याग के मारे, क्या जानो
ये भोग भी एक तपस्या है
तुम त्याग के मारे, क्या जानो
तुम त्याग के मारे, क्या जानो

अपमान रचेता का होगा
रचना को अगर ठुकराओगे
संसार से भागे फिरते हो

हम कहते हैं, "ये जग अपना है"
तुम कहते हो, "झूठा सपना है"
हम कहते हैं, "ये जग अपना है"
तुम कहते हो, "झूठा सपना है"
तुम कहते हो, "झूठा सपना है"

हम जनम बिता कर जाएँगे
तुम जनम गँवा कर जाओगे
संसार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओगे
संसार से भागे फिरते हो



Credits
Writer(s): Roshan, Ludiavani Sahir
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