Jaan Gaya Mere Raaz Ko

शे'रों में जब से बंद किया उसके नाज़ को
शे'रों में जब से बंद किया उसके नाज़ को
सारा ज़माना जान गया मेरे राज़ को
शे'रों में जब से बंद किया उसके नाज़ को
शे'रों में जब से बंद किया...

आँखों से जिसकी पी लिया पैमाना-ए-ख़ुमार
आँखों से जिसकी पी लिया पैमाना-ए-ख़ुमार

देता हूँ मैं दुआएँ उसी बादा-साज़ को
देता हूँ मैं दुआएँ उसी बादा-साज़ को
शे'रों में जब से बंद किया...

दो पल भी कब गुज़र सकें ज़ुल्फ़ों की छाँव में
दो पल भी कब गुज़र सकें ज़ुल्फ़ों की छाँव में
...ज़ुल्फ़ों की छाँव में

पछताया माँग कर मैं इस उम्र-ए-दराज़ को
पछताया माँग कर मैं इस उम्र-ए-दराज़ को
शे'रों में जब से बंद किया...

वो दिल-कशी, वो जल्वा-गरी, बद-गुमानियाँ
वो दिल-कशी, वो जल्वा-गरी, बद-गुमानियाँ

क्या ने'मतें अता हुईं क़ल्ब-ए-गुदाज़ को
क्या ने'मतें अता हुईं क़ल्ब-ए-गुदाज़ को
शे'रों में जब से बंद किया...

खोया सुकून और बढ़ी बे-क़रारियाँ
खोया सुकून और बढ़ी बे-क़रारियाँ
...बे-क़रारियाँ

उनके फ़रेब आ गए राज़-ओ-नियाज़ को
उनके फ़रेब आ गए राज़-ओ-नियाज़ को
शे'रों में जब से बंद किया...

हर रास्ते पे 'ज्योति' जली मेरे ख़्वाब की
हर रास्ते पे 'ज्योति' जली मेरे ख़्वाब की

कैसे कहूँ मैं शुक्रिया उस चारा-साज़ को
कैसे कहूँ मैं शुक्रिया उस चारा-साज़ को
शे'रों में जब से बंद किया उसके नाज़ को
शे'रों में जब से बंद किया उसके नाज़ को
शे'रों में जब से बंद किया उसके नाज़ को

शे'रों में जब से बंद किया...



Credits
Writer(s): Iqbal Qureshi, J.r. Jyoti
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