Palkon Pe Charagh Jale Hain

पलकों पे भी चराग़ जले हैं हँसी के साथ
पलकों पे भी चराग़ जले हैं हँसी के साथ
ऐसे भी कुछ मज़ाक हुए ज़िंदगी के साथ

यूँ तो १००० ग़म थे, मगर इसके बावजूद
उनका भी ग़म उठा लिया हमने खुशी के साथ

वो जिसके साथ-साथ ज़माना चला गया
कुछ दूर तक तो हम भी चलेंगे उसी के साथ

तुम ही क़ुसूरवार नहीं तर्क-ए-इश्क़ में
मेरा भी है क़ुसूर तेरी बेरुख़ी के साथ
मेरा भी है क़ुसूर तेरी बेरुख़ी के साथ



Credits
Writer(s): Iqbal, Danish Bareilvi
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