Tum Bin Jaun Kahan, Pt. 2

तुम बिन जाऊँ कहाँ?
तुम बिन जाऊँ कहाँ? कि दुनिया में आ के
कुछ ना फिर चाहा कभी तुम को चाह के

तुम बिन जाऊँ कहाँ? कि दुनिया में आ के
कुछ ना फिर चाहा कभी तुम को चाह के
तुम बिन...

रह भी सकोगे तुम कैसे हो के मुझ से जुदा?
हट जाएँगी दीवारें सुन के मेरी सदा

आना होगा तुम्हें मेरे लिए
साथी मेरी सूनी राह के

तुम बिन जाऊँ कहाँ? कि दुनिया में आ के
कुछ ना फिर चाहा कभी तुम को चाह के
तुम बिन...

कितनी अकेली सी पहले थी यही दुनिया
तुम ने नज़र जो मिलाई, बस गई दुनिया

दिल को मिली जो तुम्हारी लगन
दीए जल गए मेरी आह से

तुम बिन जाऊँ कहाँ?
तुम बिन जाऊँ कहाँ? कि दुनिया में आ के
कुछ ना फिर चाहा कभी तुम को चाह के
तुम बिन...



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