Sabhi Kuchh Lutakar

सभी कुछ लुटाकर हुए हम तुम्हारे
कि है जीत उस की, जो दिल आज हारे
ये खोया सा चंदा, ये बहके से तारे
तो फिर क्यूँ ना मचलें अरमाँ हमारे?
सभी कुछ लुटाकर...

मोहब्बत में खो जा, किसी का तू हो जा
फ़लक से ज़मीं तक हुए ये इशारे
कि है जीत उस की, जो दिल आज हारे
सभी कुछ लुटाकर...

है चुप-चाप वो भी, है ख़ामोश हम भी
खुले जा रहे हैं मगर राज़ सारे
कि है जीत उस की, जो दिल आज हारे
सभी कुछ लुटाकर...

वो रंगीन दुनिया, वो ख़्वाबों की दुनिया
सिमट कर के बाँहों में आई हमारे
कि है जीत उस की, जो दिल आज हारे
सभी कुछ लुटाकर...



Credits
Writer(s): Nachiketa Ghosh, Gouri Prasanna Majumdar
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