Main Janam Janam Ki Dasi Re

मैं जनम-जनम की दासी रे
बार-बार दर्शन पाकर भी रहूँ दरस की प्यासी
मैं जनम-जनम की दासी रे
बार-बार दर्शन पाकर भी रहूँ दरस की प्यासी

साँवरिया ने आज लाज का घूँघट खोला
साँवरिया ने आज लाज का घूँघट खोला
मन मतवाला झूम के भी कुछ ना बोला

कितने भोले-भाले हैं मेरे जीवन-धन अविनाशी रे
बार-बार दर्शन पाकर भी रहूँ दरस की प्यासी
मैं जनम-जनम की दासी रे
बार-बार दर्शन पाकर भी रहूँ दरस की प्यासी

बगिया में पपीहा बोले
मेरे मन में प्रेम-रस घोले

एक झलक दिखलाकर प्रभु ने कर दी दूर उदासी रे
बार-बार दर्शन पाकर भी रहूँ दरस की प्यासी
मैं जनम-जनम की दासी रे
बार-बार दर्शन पाकर भी रहूँ दरस की प्यासी

सपनों की कलियाँ चुनकर गूँथी वरमाला
सपनों की कलियाँ चुनकर गूँथी वरमाला
प्रीतम ने आकर मेरे मन में किया उजाला

रोम-रोम में रमे हुए हैं मेरे नैन निवासी रे
बार-बार दर्शन पाकर भी रहूँ दरस की प्यासी
मैं जनम-जनम की दासी रे
बार-बार दर्शन पाकर भी रहूँ दरस की प्यासी



Credits
Writer(s): Bharat Vyas, S. N. Tripathi
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