Mujhko Pehchaanlo

दुनियाँ में लोगों ने फिर अपने दिल थामे
आया हूँ लेकर मैं फिर कितने हंगामे

फिर मैंने सोचा है, मैं जीतूँ सब हारें
दरवाज़े खुल जाएँ, गिर जाएँ दीवारें

मुझ से टकरा पाया है कौन?
मुझ को पहचान लो, मैं हूँ don

दुनियाँ मुझे जो भी कहे, इसकी मुझे परवाह क्या
मुझ को तो है ये देखना, जीतने की है राह क्या
जो मुझ को रोकना चाहें उनको है क्या ये पता?
(Don को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है)

दुनिया फिर जीतने आया कौन?
(Don, don)
मुझ को पहचान लो, मैं हूँ don

Don



Credits
Writer(s): Javed Akhtar
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