Safar

ਓ, ਬੰਦਿਆ
ढूँढे है क्या राहें तेरी है घर तेरा?
चलना वहाँ, जाना वहाँ
खुद तक कहीं पहुँचे जहाँ

कदम उठा और साथ में हो ले
शहर-शहर ये तुझसे देखो बोले
टुकुर-टुकुर यूँ अपने नैना खोले
ज़िंदगी पी ले ज़रा

बहती हवाओं के जैसे हैं इरादे
उड़ते परिंदो से सीखी हैं जो बातें
अनजानी राहों पे कोई मैं चला

मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं

थोड़ा आगे बढ़े
मैंने जाना ये "सच है तो क्या है"
उलझे-उलझे सब सवाल
"ज़िंदगी है ये क्या? मैं कौन हूँ?" मैंने ये जाना
मुझे मिल ही गए सब जवाब

देखो ना, हवा कानों में मेरे कहती क्या
ਬੋਲੀ; "ਵੇਖ ਫ਼ਰੀਦਾ ਮਿੱਟੀ ਖੁੱਲੀ
ਮਿੱਟੀ ਉਤੇ ਫ਼ਰੀਦਾ ਮਿੱਟੀ ਡੁੱਲ੍ਹੀ
ਚਾਰ ਦਿਨਾਂ ਦਾ ਜੀ ਲੇ ਮੇਲਾ-ਦੁਨੀਆ
फिर जाने होना क्या"

बहती हवाओं के जैसे हैं इरादे
उड़ते परिंदों से सीखी हैं जो बातें
अनजानी राहों पे कोई मैं चला

मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं, ओ

ये कैसा सफ़र है जो यूँ डूबा रहा?
जाता हूँ कहीं मैं, या लौट के आ रहा?
वो चेहरे, वो आँखें, वो यादें पुरानी मुझे पूछती
ये नदिया का पानी भी बहता है, कहता यही

मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं

खोया नहीं, खोया नहीं
खोया, खोया, खोया, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं



Credits
Writer(s): Vishal Mishra, Kaushal Kishore
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