Chaudhvin Ka Chand Nikla Aaj Jis Andaz Se

चौदहवीं का चाँद निकला आज जिस अंदाज़ से
चौदहवीं का चाँद निकला आज जिस अंदाज़ से
यार का दीदार हो शायद इसी अंदाज़ से
चौदहवीं का चाँद निकला आज जिस अंदाज़ से
चौदहवीं का चाँद निकला...

रुख़ से जब सरकी नक़ाब धीरे-धीरे आपके
रुख़ से जब सरकी नक़ाब धीरे-धीरे आपके

दूसरा एक चाँद निकला फिर उसी अंदाज़ से
दूसरा एक चाँद निकला फिर उसी अंदाज़ से
यार का दीदार हो शायद इसी अंदाज़ से
चौदहवीं का चाँद निकला...

ना छुपा, पर्दा-नशीं, तू ख़ुद को आकर बज़्म में
ना छुपा, पर्दा-नशीं, तू ख़ुद को आकर बज़्म में

ढूँढ लेंगे हम वहाँ तुझको तेरे अंदाज़ से
ढूँढ लेंगे हम वहाँ तुझको तेरे अंदाज़ से
यार का दीदार हो शायद इसी अंदाज़ से
चौदहवीं का चाँद निकला...

ओ, मेरी पर्दा-नशीं, महताब मेरी आँखों के
ओ, मेरी पर्दा-नशीं, महताब मेरी आँखों के

उम्र-भर देखेंगे हम तुझको उसी अंदाज़ से
उम्र-भर देखेंगे हम तुझको उसी अंदाज़ से
यार का दीदार हो शायद इसी अंदाज़ से
चौदहवीं का चाँद निकला...

वक़्त, लम्हे, पल, ये सदियाँ, सब विवश मेरे साथ हैं
वक़्त, लम्हे, पल, ये सदियाँ, सब विवश मेरे साथ हैं

फिर ना क्यूँ ये चाँद चमके ख़ास एक अंदाज़ से?
फिर ना क्यूँ ये चाँद चमके ख़ास एक अंदाज़ से?
यार का दीदार हो शायद इसी अंदाज़ से

चौदहवीं का चाँद निकला आज जिस अंदाज़ से
चौदहवीं का चाँद निकला आज जिस अंदाज़ से
यार का दीदार हो शायद इसी अंदाज़ से

चौदहवीं का चाँद निकला...
चौदहवीं का चाँद निकला...
चौदहवीं का चाँद निकला...



Credits
Writer(s): B.n.sharma, Pt.rajendra Prasanna
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