Zindagi Meri Hai

ज़िन्दगी मेरी है टूटा हुआ शीशा कोई
ज़िन्दगी मेरी है टूटा हुआ शीशा कोई
काश मिल जाए मुझे आज मसीहा कोई
ज़िन्दगी मेरी है टूटा हुआ शीशा कोई

लड़खड़ाने लगे उखड़ी हुई साँसों के चराग़
लड़खड़ाने लगे उखड़ी हुई साँसों के चराग़
हाए, किस वक़्त मिला बन के उजाला कोई
काश मिल जाए मुझे आज मसीहा कोई

क़ाफ़िले आए-गए फिर भी कई बरसों से
क़ाफ़िले आए-गए फिर भी कई बरसों से
जाने एक मोड़ पे क्यूँ बैठा है तनहा कोई
काश मिल जाए मुझे आज मसीहा कोई

कैसे रो-रो के पिघलते हैं गुनाहों के पहाड़
कैसे रो-रो के पिघलते हैं गुनाहों के पहाड़
आ के देखें तो सही ये भी नज़ारा कोई

ज़िन्दगी मेरी है टूटा हुआ शीशा कोई
काश मिल जाए मुझे आज मसीहा कोई
ज़िन्दगी मेरी है टूटा हुआ शीशा कोई



Credits
Writer(s): Sudarshan Fakir, Chitra Singh, Jagjit Singh Dhiman
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