Masiha

क़ाफ़िले आए-गए फिर भी कई बरसों से
क़ाफ़िले आए-गए फिर भी कई बरसोंसे
जाने एक मोड़ पे क्यूँ बैठा है तनहा कोई
काश मिल जाए मुझे आज मसीहा कोई

कैसे रो-रो के पिघलते हैं गुनाहों के पहाड़
कैसे रो-रो के पिघलते हैं गुनाहों के पहाड़
आ के देखें तो सही ये भी नज़ारा कोई

ज़िन्दगी मेरी है टूटा हुआ शीशा कोई
काश मिल जाए मुझे आज मसीहा कोई
ज़िन्दगी मेरी है टूटा हुआ शीशा कोई



Credits
Writer(s): Sudarshan Fakir, Chitra Singh, Jagjit Singh Dhiman
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