Maana Ke

माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से...
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं
लेकिन हवा के रहम-ओ-करम पर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से...

इंसान हूँ, धड़कते हुए दिल पे हाथ रख

इंसान हूँ, धड़कते हुए दिल पे हाथ रख
यूँ डूब कर ना देख...
यूँ डूब कर ना देख समंदर नहीं हूँ मैं
यूँ डूब कर ना देख समंदर नहीं हूँ मैं

लेकिन हवा के रहम-ओ-करम पर नहीं हूँ मैं
लेकिन हवा के रहम-ओ-करम पर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से...

चेहरे पे मल रहा हूँ सियाही नसीब की

चेहरे पे मल रहा हूँ सियाही नसीब की
आईना हाथ में है...
आईना हाथ में है सिकंदर नहीं हूँ मैं
आईना हाथ में है सिकंदर नहीं हूँ मैं

लेकिन हवा के रहम-ओ-करम पर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से...

Ghalib, तेरी ज़मीन में लिखी तो है ग़ज़ल

Ghalib, तेरी ज़मीन में लिखी तो है ग़ज़ल
तेरे क़द्र-ए-सुख़न के...
तेरे क़द्र-ए-सुख़न के बराबर नहीं हूँ मैं
तेरे क़द्र-ए-सुख़न के बराबर नहीं हूँ मैं

लेकिन हवा के रहम-ओ-करम पर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं
माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से...



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Muzaffar Warsi
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