Swapn Sunehere

स्वप्न सुनहरे, घाव गहरे
हर धारा में लेके चली जीव नदी
पर्वत रोके, चीरे घाटी
धार समय की रुक ना पाती

कल-कल ये, अविरल ये
बहती जाती प्राण नदी, जीव नदी



Credits
Writer(s): Manoj Muntashir, M.m. Kreem
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