Khuda Haafiz

बीते लमहों को फिर से जीने के लिए
जुदा होना ज़रूरी है, समझा कर
रात जितनी भी दिलचस्प हो, साइयाँ
सुबह होना ज़रूरी है, समझा कर

ख़ुदा हाफ़िज़, ओ, मेरे यारा
मिलें या ना मिलें दोबारा
रहूँगा मैं सदा तेरा

ख़ुदा हाफ़िज़, ओ, मेरे यारा
सफ़र बेदर्द, बेसहारा
मुहाफ़िज़ हो ख़ुदा तेरा

दास्ताँ तेरी-मेरी कितनी अजीब है
पास तू नहीं, फिर भी सबसे क़रीब है

ख़ुदा हाफ़िज़, ओ, मेरे यारा
जो पल तेरे बिना गुज़ारा
है उसमें भी निशाँ तेरा

मिटे ना मिटाए अब यार मेरी आँखों से ये नमी
हर दिन, हर लमहा यूँ गूँजेगी दीवारों से तेरी कमी
जब मिलेंगे दोबारा हम किसी चौराहे पे फिर कभी
मैं पहचान लूँगा तुमको, है लाज़मी

ख़ुदा हाफ़िज़, ओ, मेरे यारा
सफ़र बेदर्द, बेसहारा
अधूरी रह गई दुआ

डूब कर सूरज ने मुझको तनहा कर दिया
मेरा साया भी बिछड़ा मेरे दोस्त की तरह
डूब कर सूरज ने मुझको तनहा कर दिया
मेरा साया भी बिछड़ा मेरे दोस्त की तरह

ख़ुदा हाफ़िज़, ओ, मेरे यारा
मिलें या ना मिलें दोबारा
रहूँगा मैं सदा तेरा

दास्ताँ तेरी-मेरी कितनी अजीब है
पास तू नहीं, फिर भी सबसे क़रीब है

ख़ुदा हाफ़िज़, ओ, मेरे यारा
जो पल तेरे बिन गुज़ारा
है उसमें भी निशाँ तेरा



Credits
Writer(s): Manoj Muntashir,arko
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