Wahi Hain Raste

खाली-खाली दिल गूँजे तेरे नाम से
लगे सारे पल नाकाम से
तेरे बिन हूँ तनहा-तनहा, तुझसे कहूँ कैसे?

वो ही हैं रस्ते, वो ही हैं घर, वो ही जीने के समान
तुम थे तो जैसे ज़िंदा थे सारे, तुम बिन लगें बेज़ान
हर चीज़ मुझसे पूछे, "तुम हो कहाँ?"

फ़ासले क्यूँ बढ़े? दूरियाँ जब नहीं
है यक़ीं आज भी पर सुकूँ अब नहीं
फ़ासले क्यूँ बढ़े? दूरियाँ जब नहीं
है यक़ीं आज भी पर सुकूँ अब नहीं

वो ही हैं रस्ते, वो ही हैं घर, वो ही जीने के समान

दिल पर भारी कदमों से चलते, तनहाईयों के हैं लमहे
फ़िके दिन और सूनी रातें, सोचे तुम्हारी ही बातें

सुबह को लाना शाम तक लगता नहीं आसान
खोने लगी है अब ये ज़िन्दगी खुशियों की हर पहचान

फ़ासले क्यूँ बढ़े? दूरियाँ जब नहीं
है यक़ीं आज भी पर सुकूँ अब नहीं
फ़ासले क्यूँ बढ़े? दूरियाँ जब नहीं
है यक़ीं आज भी पर सुकूँ अब नहीं



Credits
Writer(s): Shankar Mahadevan, Aloyius Peter Mendonsa, Ehsaan Noorani, Javed Akhtar
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