Umr Guzri

उम्र गुज़री भी नहीं
ओर कुछ गुज़र भी गई
वक्त ठहरा भी नहीं
और कुछ ठेहर भी गया

आज भी ख्वाब देखता हूँ मैं
आज भी ख्वाब सब तुम्हारे
आज भी तुम पे है नज़र मेरी

आज भी तुमसे ही नज़ारे हैं

ज़िंदगी मिल भी गई
ओर कुछ मुकर भी गई

उम्र गुज़री भी नहीं
ओर कुछ गुज़र भी गई
वक्त ठहरा भी नहीं
और कुछ ठेहर भी गया



Credits
Writer(s): Irshad Kamil, Sandesh Shandilya
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