Kaanto Par Chalta Jaa, From ''Kanto Par Chalta Ja''

मुस्कुरा के ज़िंदगी की हर मुसीबत से गुज़र
तेरी मायूसी है तोहमत ज़िंदगी के नाम पर

काँटों पर चलता जा
गिर-गिर के सँभलता जा
काँटों पर चलता जा
गिर-गिर के सँभलता जा

ओ, दुनिया ने तो ठानी है
दबते को दबाने की
दुनिया ने तो ठानी है
दबते को दबाने की

कब तक तू रहेगा यूँ ठोकर में ज़माने की?
हो, मक्कार ज़माने की हर रस्म बदलता जा

काँटों पर चलता जा
गिर-गिर के सँभलता जा

ओ, मुश्किल जिसे समझा है
मुश्किल तो नहीं, नादाँ
मुश्किल जिसे समझा है
मुश्किल तो नहीं, नादाँ

हिम्मत का सहारा ले, मंज़िल है तेरी आसाँ
हो, ठोकर से बना राहें, लहरा के निकलता जा

काँटों पर चलता जा
गिर-गिर के सँभलता जा
काँटों पर चलता जा
गिर-गिर के सँभलता जा



Credits
Writer(s): Hemant Kumar
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