Har Gum KO Chupakar Sine Me

हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है

ये राज़ कभी ना खुल सकता, ख़ामोश ही रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है

यूँ दिन तो गुज़र जाते हैं, रातें तड़पाती हैं
कुछ बीते दिनों की बातें तब याद आती हैं

ख़ामोश ही रहकर अब तो मुझे सब कुछ सहना है
...मुझे सब कुछ सहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है

विश्वास ने मुझको लुटा और आशा से मिली निराशा
पनघट पे पहुँचा, फिर भी मैं हरदम ही रहा हूँ प्यासा

हर ज़ख़्म के दर्द छुपाकर, मुझे जीते रहना है
...मुझे जीते रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है

अब किसको अपना कहूँ मैं जो देगा मुझको सहारा?
यूँ ही भटक रहा हूँ मैं, जैसे कोई आवारा

अपने ये सारे अफ़साने, ख़ुद से ही कहना है
...ख़ुद से ही कहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है

ये राज़ कभी ना खुल सकता, ख़ामोश ही रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है
हर ग़म को छुपाकर सीने में, मुझे हँसते रहना है



Credits
Writer(s): Dev Kumar Pandey
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