Yeh Sham Mastani And Dialogue

पार्टी की भीड़-भाड़ के बाद रास्ते का ये
(सूनापन कितना अच्छा लग रहा है)
(ये आपके लिए एक छोटी सी भेट है)
(आपके जन्मदिन के सुभ अवसर पर)

(वहाँ सबके सामने देने में संकोच हो रहा था)
(ये मेरे लिए सबसे अमूल्य भेट है)
(क्योंकि तुमने मुझे दिया)
(माफ कीजिए मैं तुम कह गया आपको)

(अपने से छोटो को हमेशा तुम ही कहा जाता है)
(और फिर तुम में जो अपनापन है वो आप में नहीं)
(आज मैंने तुमसे एक नई बात सीखी है पूनम)
(अपनेपन के लिए किसी को अपना बनाना जरूरी नहीं)

(जिससे भी अपनापन मिल जाए वही अपना है)
(अपनी आँखों से ना देखता तो कभी यकीन ना होता)
(यही की आपको हसना खेलना भी आता है)
(सबने जिद की इसलिए खेलना पड़ा)

(कुछ देर के लिए सब कुछ भूल गई)
(इस पागलपन में)
(पागलपन, खुशी तो मन की तरंग होती है)
(उसे कोई रोकना भी चाहे, तो रोक नहीं सकता)

(कमल बाबू, कविता से मन को बहलाया जा सकता है)
(समझाया नहीं जा सकता)
(जिस मन को दुर्भाग्य ने और समाज के)
(बंधनों ने कुचल डाला हो)

(उसे झूटा दिलासा देने से क्या फ़ायदा)
(आप मन की शक्ति को नहीं जानती)
(जिस मन में सच्ची बात ना हो, लगन हो)
(वो एक बंधन को तोड़ सकता है)

(और जिसके मन में ना कोई उमंग हो)
(ना कोई तरंग हो)
(जिसका जीवन एक कटी पतंग की तरह हो)
(आप ही की कविता के शब्द हैं)

(वो, मेरी अधूरी कविता है)
(पूरी हो कर भी कटी पतंग का भाग्य)
(नहीं बदल सकती)
(जो एक बार अपने डोर से कट गई)

(उसे दुख के थपेरे में ना जाने कहाँ से कहाँ ले जाए)
(उसकी ना तो कोई दिशा है, ना कोई मंजिल)
(फूल जोड़े में लगाते-लगाते फेक क्यों दिया?)
(मैं तो यूँ ही देख रही थी)

(फूल दो ही जगह सोभा देता है)
(एक भगवान के चरणों में)
(दूसरा स्त्री के जुड़े में)
(हर स्त्री के जुड़े में नहीं)

(एक बात पूछूँ पूनम?)
(पूछिए)
(थोड़ी देर पहले तुम हँस-खेल रही थी)
(ऐसे लग रहा था की जैसे)

(तुम्हारा बीता हुआ जीवन)
(इस झरने के तरह है, उमंग भरा)
(लेकिन आज, आज)
(आज इस झील की तरह है जो ऊपर से शांत है)

(लेकिन इसकी गहराईयों में ना जाने)
(कितने अरमान मचल रहे हैं)
(पूनम)
(दुनिया में झील की गहराईयाँ ही सब कुछ नहीं)
(और भी बहुत कुछ है)

(जैसे, जैसे ये फूल जो मुस्कुराहट देते है)
(और मुरझा भी जाते हैं)
(जैसे ये शाम जो मस्ती लुटाती है)
(और रात के अंधेरे में खो जाती है)

(पूनम, अगर तुम चाहो तो इस)
(रात के अंधेरे से निकलकर)
(आकाश के उजाले को छू सकती हो)

(इसके लिए मजबूत हाथों के)
(सहारे की जरूरत होती है)
(पवित्र प्रेम ही जीवन का)
(सबसे बड़ा सहारा होता है पूनम)

ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए
ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए

दूर रहती है तू, मेरे पास आती नहीं
होटों पे तेरे, कभी प्यास आती नहीं
ऐसा लगे, जैसे के तू, हँस के ज़हर कोई पीये जाए

ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए

बात जब मैं करूँ, मुझे रोक देती है क्यों?
तेरी मीठी नज़र, मुझे टोक देती है क्यों?
तेरी हया, तेरी शरम, तेरी क़सम, मेरे होंठ सीए जाए

ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए

एक रूठी हुई, तक़दीर जैसे कोई
खामोश ऐसे है तू, तस्वीर जैसे कोई
तेरी नज़र, बन के जुबां, लेकिन तेरे पैगाम दिए जाए
ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए

मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए
ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Rahul Dev Burman
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