Kahin Door Jab Din Dhal Jaye

कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए

मेरे ख़यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए

वहीं जहाँ रहता था शब का अँधेरा
वहीं से निकल आया उजला सवेरा
वहीं जहाँ रहता था शब का अँधेरा
वहीं से निकल आया उजला सवेरा

वहीं पिघल के, किरणों में ढल के
मुझसे लिपट गए कितने ही साए, कितने ही साए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए

होने लगीं दिल से जो उसकी ही बातें
फिर से उभर आईं कितनी ही यादें
होने लगीं दिल से जो उसकी ही बातें
फिर से उभर आईं कितनी ही यादें

सज के, सँवर के, अखियों में भर के
कोई मुझे देखे, कोई मुझको बुलाए, मुझको बुलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए

मेरे ख़यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए



Credits
Writer(s): Salil Choudhury, Yogesh
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