Choor Choor Khwab

आए नहीं किनारा कहीं भी नज़र
डूबे मेरी कश्तियाँ
शाम-ओ-सहर ढूँढता हूँ तेरा निशाँ
जाने तू है कहाँ

यादों के पल छोड़ गई जो तू
मैं उन में घुल सा गया
कभी लगे तू यहीं खड़ी मुझे इशारों से बुलाए
धोका है मेरी नज़र का सारा

चूर-चूर ख़ाब है और दर्द बेहिसाब है
ज़हन में अधूरी सी बात है, ओ
चूर-चूर ख़ाब है, दर्द बेहिसाब है
दिन में भी छाई जैसे रात है, ओ

धूप में तपी अब मेरी हर आस है
तेरी ख़ुशबू ही महज़-एक-ख़ाब था
रेंगती हुई अब चल रहीं हैं साँसें
तेरा पास आना एक राज़ था

छोटी सी दुनियाँ मैंने बसा ली है अपनी
फिर भी ना जाने क्यूँ है तेरी क़मी
चाहे कितना भी अब मैं ख़ुद को मना लूँ
तुझ को भुला ना पाऊँ, सही

चूर-चूर ख़ाब है और दर्द बेहिसाब है
ज़हन में अधूरी सी बात है, ओ
चूर-चूर ख़ाब है, दर्द बेहिसाब है
दिन में भी छाई जैसे रात है, ओ

ज़हर बन रहा अब वक़्त का ये पहर
तेरी ही तलाश में दर-दर मारा हूँ
आँखों से रोशनी ओझल हो रही है
अब यहीं ना मैं दम तोड़ दूँ

मीट ना सका फ़ासला, तूने की है ना वफ़ा
मिल भी जाओ तो मैं और क्या कहूँ?
क्या मुझ से भूल हो गई, ये कैसी सज़ा है
तेरी एक नज़र का मैं प्यासा हूँ (whoa)

चूर-चूर ख़ाब है (aye-aye, aye-aye), दर्द बेहिसाब है (aye-aye, aye-aye)
चूर-चूर ख़ाब है (aye-aye, aye-aye), दर्द बेहिसाब है (aye-aye, aye-aye)
चूर-चूर ख़ाब है (aye-aye, aye-aye), दर्द बेहिसाब है (aye-aye, aye-aye)
चूर-चूर ख़ाब है और दर्द बेहिसाब है

चूर-चूर ख़ाब है और दर्द बेहिसाब है
ज़हन में अधूरी सी बात है, ओ
चूर-चूर ख़ाब है, दर्द बेहिसाब है
दिन में भी छाई जैसे रात है, ओ

चूर-चूर ख़ाब है और दर्द बेहिसाब है
ज़हन में अधूरी सी बात है, ओ
चूर-चूर ख़ाब है, दर्द बेहिसाब है
दिन में भी छाई जैसे रात है, ओ



Credits
Writer(s): Krsna Solo
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