Dil Se Bandhi Ek Dor

दिल से बँधी एक डोर, जो दिल तक जाती है
हाँ, जाती है
प्यार के बंधन बाँधे जाती है
(प्यार के बंधन बाँधे जाती है)

अँगना में प्यार के गुलाब जो खिल-खिल जाते हैं
खिल जाते हैं
रिश्तों की बगिया महक जाती है
(रिश्तों की बगिया महक जाती है)

आँखों में सपना, सपने में अपना
एक नन्हा सा मेहमाँ है
रौशन होगा कब वो दीपक सबके दिलों में अरमाँ है
सच होने वाला है एक सपना
चहकने वाला है घर-अँगना
नन्हीं सी कदमों की आहट आती है
(नन्हीं सी कदमों की आहट आती है)

बिन बोले ही नैनों से नैना प्यार की भाषा पढ़ते हैं
नए तराने बन जाते हैं जब दो दिल धड़कते हैं
मीत जो मन को भाता है
झूम के दिल तब गाता है
जन्मों की प्रीत जुड़ी जाती है
(जन्मों की प्रीत जुड़ी जाती है)

रीत ये रस्में और ये रंगोली साजन संग लगे प्यारी
साथ सजन का प्यार रहे तो सारी ही दुनिया लगे न्यारी
तीज त्योहारों का ये मौसम
कितना सुहाना है हमदम
प्रेम के पुरवा चली आती है
(प्रेम के पुरवा चली आती है)

दिल से बँधी एक डोर, जो दिल तक जाती है
हाँ, जाती है
प्यार के बंधन बाँधे जाती है
(प्यार के बंधन बाँधे जाती है)

अँगना में प्यार के गुलाब जो खिल-खिल जाते हैं
खिल जाते हैं
रिश्तों की बगिया महक जाती है
(रिश्तों की बगिया महक जाती है)



Credits
Writer(s): Gaurav Sansanwal
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