Phir Se Zara

फिर से ज़रा तू रूठ जा
फिर से तुझे मनाऊँ मैं, हाय

फिर से ज़रा तू रूठ जा
फिर से तुझे मनाऊँ मैं, हाय
फिर से ज़रा तू दूर जा
फिर से तुझे बुलाऊँ मैं

ऐ ज़िंदगी, तू चुप है क्यूँ?
मिल के कभी तू बोल ना

दिल की जो बातें हैं, होंठों पे खोल ना
चुभती ख़ामोशी है, कुछ तो बोल ना
दिल की जो बातें हैं, होंठों पे खोल ना
चुभती ख़ामोशी है, कुछ तो बोल ना

फिर से ज़रा तू रूठ जा
फिर से तुझे मनाऊँ मैं, हाय

अंदर एक मेरे है उड़ता घायल परिंदा कोई
मर के भी जैसे एक मुझमें पागल है ज़िंदा कोई
अंदर एक मेरे है उड़ता घायल परिंदा कोई
मर के भी जैसे है मुझमें पागल है ज़िंदा...

तिनका हूँ मैं तूफ़ान में
तिनका हूँ मैं तूफ़ान में
क्यूँ ज़िंदगी? तू बोल ना

दिल की जो बातें हैं, होंठों पे खोल ना
चुभती ख़ामोशी है, कुछ तो बोल ना
दिल की जो बातें हैं, होंठों पे खोल ना
चुभती ख़ामोशी है, कुछ तो बोल ना



Credits
Writer(s): Kumaar, Shashwat Sachdev
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