Maa Ke Dware

माँ के द्वारे धूम मची है, आई है नवरात्रि
घर-घर माँ की ज्योत जगी है, है महारानी सबके साथ री
माँ के द्वारे धूम मची है, आई है नवरात्रि
घर-घर माँ की ज्योत जगी हैं, है महारानी सबके साथ री

माँ के द्वारे धूम मची है...

माथे मुकुट विराजे माँ के, गल सोने के हार
माँ के चौखट पे एक जैसा है सबका अधिकार
...है सबका अधिकार
...है सबका अधिकार

सबकी झोली में महारानी डाले सब सौगात री

घर-घर माँ की ज्योत जगी है, है महारानी सबके साथ री
माँ के द्वारे धूम मची है, आई है नवरात्रि
घर-घर माँ की ज्योत जगी है, है महारानी सबके साथ री

माँ के द्वारे धूम मची है...

लाल चुनरिया ओढ़े माँ दुर्गा, करती शेर सवारी माँ
बैठ गुफा में दर्शन देती सबको बारी-बारी माँ
...सबको बारी-बारी माँ
...सबको बारी-बारी

माँ के द्वारे पे खुशियों की होती है बरसात री

घर-घर माँ की ज्योत जगी है, है महारानी सबके साथ री
माँ के द्वारे धूम मची है, आई है नवरात्रि
घर-घर माँ की ज्योत जगी है, है महारानी सबके साथ री

माँ के द्वारे धूम मची है...

चारों दिशाओं से आते हैं भक्त माँ के हज़ार
जिसने समझी, उसने मानी महिमा अपरंपार
...महिमा अपरंपार
...महिमा अपरंपार

Soni माँ की महिमा गाए, गाओ तुम भी साथ री

घर-घर माँ की ज्योत जगी है, है महारानी सबके साथ री
माँ के द्वारे धूम मची है, आई है नवरात्रि
घर-घर माँ की ज्योत जगी है, है महारानी सबके साथ री

...है महारानी सबके साथ री
...है महारानी सबके साथ री



Credits
Writer(s): Sawan Kumar Sawan
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