Nazdeek Aa

चुप-चुप के धीरे से करने की जो बात है
सुन ना ले कोई यहाँ, नज़दीक आ
फ़ासलों (फ़ासलों में) में घुल जाएँगे अल्फ़ाज़
तुझ तक कुछ पहुँचेगा ना, नज़दीक आ

नज़रों की गर्मी से जलती जो शाम थी, बुझने लगी अब है, हाँ
आँखों ही आँखों में की गुफ़्तगू, अब बेसब्र दूरियाँ
नज़रों की गर्मी से जलती जो शाम थी, बुझने लगी अब है, हाँ
आँखों ही आँखों में की गुफ़्तगू, अब बेसब्र दूरियाँ

नज़रों ने की कुछ ही बात है
बाक़ी पूरी अभी दास्ताँ
नज़रों से जो हो सकता ना बयाँ
छू कर आ देख ज़रा, ओ, जान-ए-जाँ

चुप-चुप के धीरे से करने की जो बात है
सुन ना ले कोई यहाँ, नज़दीक आ
फ़ासलों (फ़ासलों में) में घुल जाएँगे अल्फ़ाज़
तुझ तक कुछ पहुँचेगा ना, नज़दीक आ



Credits
Writer(s): Shashwat Sachdev
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