Shivoham

जटा-जूट भैरव, दिगंबर शिवोहम्
सदाशिव निराकार, शंकर शिवोहम्
ये तू है कि मैं हूँ, ये मैं हूँ कि तू
कहाँ कोई अंतर, शिवोहम्-शिवोहम्

जो बूँद-बूँद पुण्य है, जो अंश-अंश उज्ज्वला
वो गंग धार निर्झरा है झर रही गिरीश पर
जो अर्धरात्रि सृष्टि पर है स्वर्ण सा बिखेरता
चमक रहा है चन्द्रमा वो व्योम जैसे शीश पर

धरा का आदि है वही, गगन का अंत भी वही
समय की धारणाएँ सब शिवम् पे ही समाप्त है
जगत का कोई कण नहीं, ना जिसपे उनकी छाप हो
कि तीन लोक, दस दिशाओं में वही तो व्याप्त है

हैं सिद्धियाँ समस्त जिनकी तर्जनी पे नाचती
वो जिनका नाम लेके दुख के सब प्रवाह रुक गए
झुका रहे हैं शीश हम उसी दयानिधान को
वो जिसके आगे हाथ जोड़ देवता भी झुक गए

दसों दिशा में गूँजता प्रचंड शंखनाद हो
तुम्हीं हो बीज प्राण का, तुम्हीं से सर्वनाश हो
शंभो, महाशंभो, कहाँ कोई तेरे जैसा
भक्तों में है तेरे कहाँ कोई मेरे जैसा

ये तू है कि मैं हूँ, ये मैं हूँ कि तू
कहाँ कोई अंतर, शिवोहम्-शिवोहम्



Credits
Writer(s): Atul Gogavale, Ajay Gogavale, Manoj Muntashir Shukla, Darivemula Ramajogaiah
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