Chandni Ke Bagh Mein

चाँदनी के बाग़ में बाद-ए-सबा आहिस्ता चल
चाँदनी के बाग़ में बाद-ए-सबा आहिस्ता चल
चौहदवीं की रात है...
चौहदवीं की रात है, फूलों में सोई है ग़ज़ल
चाँदनी के बाग़ में बाद-ए-सबा आहिस्ता चल
चाँदनी के बाग़ में...

उसका चेहरा देखकर ईमान ताज़ा हो गया
उसका चेहरा देखकर ईमान ताज़ा हो गया

गेसुओं के साए में वो चाँद सा खिलता कँवल
गेसुओं के साए में वो चाँद सा खिलता कँवल
चौहदवीं की रात है...
चौहदवीं की रात है, फूलों में सोई है ग़ज़ल
चाँदनी के बाग़ में...

आज की ये शाम उसके नाम, दुनिया को सलाम
आज की ये शाम उसके नाम, दुनिया को सलाम

ज़िंदगी से माँगकर लाया हूँ मैं दो-चार पल
ज़िंदगी से माँगकर लाया हूँ मैं दो-चार पल
चौहदवीं की रात है...
चौहदवीं की रात है, फूलों में सोई है ग़ज़ल
चाँदनी के बाग़ में...
चाँदनी के बाग़ में...



Credits
Writer(s): Talat Aziz, Bashir Badar
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