Sar - E - Raah Kuchh Bhi Ka

सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं
सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं
कभी उसके घर मैं गया नहीं
सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं
कभी उसके घर मैं गया नहीं

मैं जनम-जनम से उसी का हूँ
मैं जनम-जनम से उसी का हूँ
उसे आज तक ये पता नहीं
सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं

ये ख़ुदा की देन अजीब है
कि उसी का नाम नसीब है
ये ख़ुदा की देन अजीब है
कि उसी का नाम नसीब है

जिसे तूने चाहा वो मिल गया
जिसे तूने चाहा वो मिल गया
जिसे मैंने चाहा, मिला नहीं
जिसे तूने चाहा वो मिल गया
जिसे मैंने चाहा, मिला नहीं

मैं जनम-जनम से उसी का हूँ
मैं जनम-जनम से उसी का हूँ
उसे आज तक ये पता नहीं
सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं

इसी शहर में कई साल से
मेरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
इसी शहर में कई साल से
मेरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं

उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं
मुझे उनका कोई पता नहीं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं
मुझे उनका कोई पता नहीं

मैं जनम-जनम से उसी का हूँ
मैं जनम-जनम से उसी का हूँ
उसे आज तक ये पता नहीं
सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं
सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं



Credits
Writer(s): Talat Aziz, Bashir Badar
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