Khair Mangda

इक मेरा यारा
इक ओह्दी यारी
यही अरदास है मेरी
वही मेरा सच है
वही मेरी जिद्द भी
दिल विच साँस है मेरी

रूठे न मनौना ौंदा नहीं वे
कड़ी वि न रूठना तू मुझसे
आपण बस सिखइया यारी निभाने
जब से जुडी है जान तुझसे ओ यारा मेरे

खैर मंगदा मैं तेरी रब्बा से यारा
खैर मंगदा मैं तेरी...

खैर मंगदा मैं तेरी रब्बा से यारा
खैर मंगदा मैं तेरी...

यार बिन जीना सिखा दे ओ रब्बा मेरे
मेहर मंगदा मैं तेरी...

खैर मंगदा मैं तेरी रब्बा से यारा
खैर मंगदा मैं तेरी...

यारा वे... यारा वे... तेनु बुलावे
यारा वे... तेनु बुलावे
यारा वे... क्यों न आवे...

हो... यारी डा एहसास हमेशा
दिल विच ज़िंदा रहेगा
तेरे वर्गा यार कहीं न
मुझको और मिलेगा

भूले से भी कोई भूल हुई हो तोह
यारा वे उसे भुला के तू
इक वारी गले लग जाने देना

इक वारी गले लग जाने दे यारा मुझे
मेहर मन्दा मैं तेरी... यारा वे...

खैर मंगदा मैं तेरी रब्बा से यारा
खैर मंगदा मैं तेरी... यारा वे...

खैर मंगदा मैं तेरी रब्बा से यारा... यारा वे...
खैर मंगदा मैं तेरी...



Credits
Writer(s): Jigar Saraiya, Sachin Jaykishore Sanghvi, Priya Jitendra Saraiya
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