Barqatein

तेरी ही ज़मीं में, तेरी सादगी में
आज बरकतें मिल रहीं
था जो दो लम्हों का सपना एक पुराना
वो हो रहा है नसीब

तो थाम रहा हूँ हाथ तेरा
दुनिया से परे जा सकूँ
अल्फ़ाज़ों में तेरे रहूँ लापता
और तेरे क़रीब आ सकूँ

तेरी ही ज़मीं में, तेरी सादगी में
आज बरकतें मिल रहीं
था जो दो लम्हों का सपना एक पुराना
वो हो रहा है नसीब

रहम बनाए रखो, ये हाथ थामे रखो
नींद हमको आए तो मेरी आँखों में देखो
समय रुका के रखो, हमें जगाए रखो
कभी फिर से आओगे, ये बातें भी ना बोलो

लाज़मी है कि तारे गिर जाएँ टूट के अभी
कि पूरी हो जाएँगी किसी की मन्नतें कहीं
काश, मिलती बाज़ारों में तेरी जैसी ख़ुशी
फिर भी जागे होते हम देख राहें तेरी

तो माँग रहा हूँ हाथ तेरा
दुनिया से परे जा सकूँ
अल्फ़ाज़ों में तेरे रहूँ लापता
और तेरे क़रीब आ सकूँ

तेरी ही ज़मीं में, तेरी सादगी में
आज बरकतें मिल रहीं
था जो दो लम्हों का सपना एक पुराना
वो हो रहा है नसीब



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