Lehrein (From "Aisha")

खोई-खोई सी हूँ मैं, क्यूँ ये दिल का हाल है?
धुँधले सारे ख़ाब हैं, उलझा हर ख़याल है

सारी कलियाँ मुरझा गई
रंग उनके यादों में रह गए
सारे घरौंदे रेत के
लहरें आई, लहरों में बह गए

राह में कल कितने चराग़ थे
सामने कल फूलों के बाग़ थे

किससे कहूँ? कौन है जो सुने?
काँटें ही क्यूँ मैंने हैं चुने?
सपने मेरे क्यूँ हैं खो गए?
जागे हैं क्यूँ दिल में ग़म नए?

सारी कलियाँ मुरझा गई
रंग उनके यादों में रह गए
सारे घरौंदे रेत के
लहरें आई, लहरों में बह गए

क्या कहूँ? क्यूँ ये दिल उदास है?
अब कोई दूर है, ना पास है
छू ले जो दिल वो बातें अब कहाँ
वो दिन कहाँ, रातें अब कहाँ

जो बीता कल है अब ख़ाब सा
अब दिल मेरा है बेताब सा

सारी कलियाँ मुरझा गई
रंग उनके यादों में रह गए
सारे घरौंदे रेत के
लहरें आई, लहरों में (बह गए) बह गए



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Amit Trivedi
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