Koi Hamdam Na Raha

कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा
हम किसी के ना रहें, कोई हमारा ना रहा
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा

शाम तनहाई की है, आएगी मंज़िल कैसे?
शाम तनहाई की है, आएगी मंज़िल कैसे?

जो मुझे राह दिखाए वही तारा ना रहा
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा

क्या बताऊँ, मैं कहाँ यूँ ही चला जाता हूँ?
क्या बताऊँ, मैं कहाँ यूँ ही चला जाता हूँ?

जो मुझे फिर से बुला ले वो इशारा ना रहा
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा
हम किसी के ना रहें, कोई हमारा ना रहा



Credits
Writer(s): Gulzar, S.d. Burman
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