Aaj Hum Ko Aadmi Ki
हमने देखा ग़ौर से जब आदमी
आ गई अपनी समझ में ज़िंदगी
ज़िंदगी को देखा जब नज़दीक से
तब समझ में आया, क्या है आदमी
आज हमको...
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
ज़िंदगी से मुलाक़ात भी आसान हो गई
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
ज़िंदगी से मुलाक़ात भी आसान हो गई
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
मोहब्बत पे हम भी तो क़ुर्बान थे
थे क्या ख़्वाब देखे, क्या अरमान थे
वो सपने हमारे धुँध में खो गए, खो गए
हमें रूप आख़िर बदलना पड़ा
बग़ावत के साँचे में ढलना पड़ा
मिले आप से तो क्या से क्या हो गए, हो गए
हर क़सम तोड़ दी, हर रसम तोड़ दी
कश्ती तूफ़ान में हमने ख़ुद मोड़ दी
अब हमें डर नहीं होगा अंजाम का
आज हमको...
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
ज़िंदगी से मुलाक़ात भी आसान हो गई
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
तिजोरी में जो बंद है आप की
वो दौलत नहीं आप के बाप की
लुटेगी कमाई जुर्म की, पाप की, पाप की
मेरी बात का ना बुरा मानिए
ज़रा वक़्त की नब्ज़ पहचानिए
चलेगी ना कोई चाल अब आप की, आप की
किताबों में जो है लिखा, सच लिखा
बुज़ुर्गों ने जो है कहा, सच कहा
बुरे काम का है नतीजा बुरा
आज हमको...
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
ज़िंदगी से मुलाक़ात भी आसान हो गई
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
आ गई अपनी समझ में ज़िंदगी
ज़िंदगी को देखा जब नज़दीक से
तब समझ में आया, क्या है आदमी
आज हमको...
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
ज़िंदगी से मुलाक़ात भी आसान हो गई
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
ज़िंदगी से मुलाक़ात भी आसान हो गई
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
मोहब्बत पे हम भी तो क़ुर्बान थे
थे क्या ख़्वाब देखे, क्या अरमान थे
वो सपने हमारे धुँध में खो गए, खो गए
हमें रूप आख़िर बदलना पड़ा
बग़ावत के साँचे में ढलना पड़ा
मिले आप से तो क्या से क्या हो गए, हो गए
हर क़सम तोड़ दी, हर रसम तोड़ दी
कश्ती तूफ़ान में हमने ख़ुद मोड़ दी
अब हमें डर नहीं होगा अंजाम का
आज हमको...
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
ज़िंदगी से मुलाक़ात भी आसान हो गई
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
तिजोरी में जो बंद है आप की
वो दौलत नहीं आप के बाप की
लुटेगी कमाई जुर्म की, पाप की, पाप की
मेरी बात का ना बुरा मानिए
ज़रा वक़्त की नब्ज़ पहचानिए
चलेगी ना कोई चाल अब आप की, आप की
किताबों में जो है लिखा, सच लिखा
बुज़ुर्गों ने जो है कहा, सच कहा
बुरे काम का है नतीजा बुरा
आज हमको...
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
ज़िंदगी से मुलाक़ात भी आसान हो गई
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
क्या अजब है मुक़द्दर का ये फ़ैसला
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
लो, बुरों का बुरा वक़्त आ ही गया
आज हमको आदमी की पहचान हो गई
Credits
Writer(s): Anjaan, Bappi Lahiri
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