Rone Se Aur Ishq Mein Bebaak Ho Gaye

रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
धोए गए हम इतने, कि बस पाक हो गए

कहता है कौन नाल:-ए-बुलबुल को, बेअसर
परदे में गुल के लाख जिगर चाक हो गए

करने गए थे उससे, तग़ाफ़ुल का हम गिला
की एक ही निगाह, कि बस ख़ाक हो गए

इस रंग से उठाई कल उसने 'असद' की लाश
दुश्मन भी जिस को देख के ग़मनाक हो गए



Credits
Writer(s): Dp, Jagjit Singh
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