Baharon Mein Kabhi Jab

बहारों में कभी जब...

बहारों में कभी जब बुलबुलों ने गीत गाए हैं
हमें रह-रह के उल्फ़त के फ़साने याद आए हैं
हमें रह-रह के उल्फ़त के फ़साने याद आए हैं
बहारों में कभी जब बुलबुलों ने गीत गाए हैं

मुबारक़ शम्मा की आग़ोश...
मुबारक़ शम्मा की आग़ोश परवानों तुम्हें लेकिन...

मुबारक़ शम्मा की आग़ोश परवानों
तुम्हें लेकिन रूख़े रोशन के आब-ए-नूर में हम भी नहाए हैं
बहारों में कभी जब बुलबुलों ने गीत गाए हैं

चराग़ा हमने कर रखा था तेरी याद से दिल को
...तेरी याद से दिल की
चराग़ा हमने कर रखा था तेरी याद से दिल को
ग़मों की तीरगी में ये उजाले काम आएँ हैं
ग़मों की तीरगी में ये उजाले काम आएँ हैं, आएँ हैं

अब उनके फूल से आरिज़ को देखें या के गुँचों को?
हो, अब उनके फूल से आरिज़ को देखें या के गुँचों को?
अजब अंदाज़ से निर्दोष वो गुलशन में आएँ हैं

बहारों में कभी जब बुलबुलों ने गीत गाएँ हैं
हमें रह-रह के उल्फ़त के फ़साने याद आए हैं

...याद आए हैं
...याद आए हैं



Credits
Writer(s): Ashish Mujumdar, Dr Inderjit Nirdosh
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