Hui Sham Unka Khayal Aa Gaya

हुई शाम, उनका ख़याल आ गया
हुई शाम, उनका ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया

हुई शाम, उनका ख़याल आ गया
हुई शाम, उनका ख़याल आ गया

अभी तक तो होंठों पे था
तबस्सुम का एक सिलसिला
बहुत शादमाँ थे हम उनको भूला कर
अचानक ये क्या हो गया?

कि चहरे पे रंग-ए-मलाल आ गया
कि चहरे पे रंग-ए-मलाल आ गया

हुई शाम, उनका ख़याल आ गया
हुई शाम, उनका ख़याल आ गया

हमें तो यही था ग़ुरूर
ग़म-ए-यार है हमसे दूर
वही ग़म जिसे हमने किस-किस जतन से
निकाला था इस दिल से दूर

वो चल कर क़यामत की चाल आ गया
वो चल कर क़यामत की चाल आ गया

हुई शाम उनका ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया
हुई शाम, उनका ख़याल आ गया
हुई शाम, उनका ख़याल आ गया



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Laxmikant-pyarelal
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