Phir Kahin Door Se

फिर कहीं दूर से
एक बार सदा दो मुझको
फिर कहीं दूर से
एक बार सदा दो मुझको

मेरी तनहाई का एहसास दिला दो मुझको
फिर कहीं दूर से
एक बार सदा दो मुझको

तुम तो सूरज हो, तुम्हें
मेरी ज़रूरत क्या है?
तुम तो सूरज हो, तुम्हें
मेरी ज़रूरत क्या है?

मैं दीया हूँ किसी चौखट पे
जला दो मुझको
फिर कहीं दूर से
एक बार सदा दो मुझको

एक घुटन सी है फिज़ा में
कि सुलगता हूँ मैं
एक घुटन सी हैं फिज़ा में
कि सुलगता हूँ मैं

जल उठूँगा कभी
दामन की हवा दो मुझको
फिर कहीं दूर से
एक बार सदा दो मुझको

मैं समंदर हूँ, ख़ामोशी मेरी मजबूरी है
मैं समंदर हूँ, ख़ामोशी मेरी मजबूरी है
दे सको तो किसी
तूफ़ाँ की दुआ दो मुझको

फिर कहीं दूर से
एक बार सदा दो मुझको
फिर कहीं दूर से
एक बार सदा दो मुझको

मेरी तनहाई का एहसास दिला दो मुझको
फिर कहीं दूर से
एक बार सद़ा दो मुझको
फिर कहीं दूर से
एक बार सदा दो मुझको



Credits
Writer(s): Mayuresh Pai, Meraj Faizabadi
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link